हैलो दोस्तो,
एक जमाने में खेलो को
जीवनशैली का प्रर्याय माना जाता था । जहां बच्चे खुले मैदान में मिट्टी में पसीना
बहा कर खेला करते थे, घर में भाई-बहन, चाचा-चाची, नानी के घर पर सारे बच्चे एक
जगह बैठ कर खेला करते थे Ludo ।
तब किसी को पता नही था कि
वो खेल जिसे केवल मनोरंजन के लिए एक समय में घरो में सब के साथ मिलकर खेला जा रहा
है, वो आज समाज में एक बुराई का रूप ले लेगा।
Ludo एक पारम्परिक खेल जिसे
हमेशा दिमागी कसरत के लिए खेला जाता रहा, वो आज बाजारो में सरेआम खेल के नाम पर
ऐसे खेला जायेगा ।
Ludo आज के समाज में ना केवल एक
महज खेल रहा है, वो बन चुका है जुआं का एक बाजार जहां छोटे-बडे, बच्चे-जवान सभी
उम्र का एक बडा तबका इस की लत में डूबता चला जा रहा है । यहां तक की घरवालो या
परिवार के किसी सदस्य को पता भी नही चलता की उनके पास बैठे Ludo खेल रहे बच्चे
मनोरजंन कर रहे है या सट्टा लगा रहे है ।
आज इस खेल के बच्चे ऐसे आदि हो चुके है कि वो सारे दिन – रात, दोस्तो के साथ, ऑनलाइन बस ये ही खेलते रहते । जिससे समाज में एक बुराई का विस्तार होता जा रहा है । एक पारम्परिक खेल अपना वजूद खोता जा रहा है ।
कही आपके आसपास भी तो इस
बुराई ने पैरा ना फैला लिये । कही आपके बच्चे इसके शिकार तो नही । क्योंकि किसी
ने कहा है – ‘’सावधानी हटी, दुर्घटना घटी’’
।। जय हिन्द ।।
No comments:
Post a Comment