अपनी कहानी के दर्द को, कब का भुला चुका हूं मै,
अब तो उस दर्द की, कहानी लिखे जा रहा हूं मै ।।
मोहब्बत करी थी जिस चादनी रातों से,
उस चादनी को ओढ कर सोये जा रहा हूं मै।
जिस आसमां में बादलों को देख कर भीगने का मन करता था,
उन बादलों के तेजाब में खुद को मिटायें जा रहा हूं मै।
किसी बाग के महकते हुए फूल को देख कर खुश हुआ करता था,
उन्ही फूलों के कांटो पर चले जा रहा हूं मैा
जिस राह में हजारों कदम चले थे बिना थके,
उन्ही राहों की मंजिल में उलझा जा रहा हूं मै।
खुद को अलग सदा में उतारे जा रहा हूं मै,
अब खुद से खुद को अलग किये जा रहा हूं मै।
अलग किये जा रहा हूं मै।।
@agarwalanshul19
@silentword9
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