यूं जा रहे है जैसे हमें जानते नही, मतलब...
अपनी गरज थी तब तो लिपटना कबूल था,
बॉहों के दायरे में सिमटना कबूल था।
अब हम मना रहे है मगर मानते नही,
मतलब निकल गया है तो पहचानते नही।।
हमने तुम्हे पसन्द किया क्या बुरा किया,
रूतबा ही कुछ बुलन्द किया क्या बुरा किया।
हर इक गली की खाक तो हम छानते नही,
मतलब निकल गया है तो पहचानते नही।।
मुॅह फेर के न जाओं हमारे करीब से,
मिलता है कोई चाहने वाला नसीब से।
इस तरह आशिकों पें कमॉं तानते नही,
मतलब निकल गया है तो पहचानते नही।।
Osm....
ReplyDeleteIncredible...
Thank you Hajur
DeleteThank you Punit Kumar
ReplyDeleteAwesome big b....
ReplyDeleteThank you Sir....
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