खफा है, नाराज है, उन्हे शिकायत है बहोत हमसे,
पर उन तुफानों का क्या,
जिन्हे मैने दिल में दबाया है,
हर वो यादों कि कश्ती,
जो उन्होने उतारी थी दिल के समन्दर में,
वो अब रातों में उन लहरों से,
लडती है, झगडती है और,
वो डूब जाना चाहती है,
ताकि सूंकू मिल सके कल रात से,
पर हर बार यादों कि पतवार निकाल लाती है,
और फिर,
उन तुफानों को दबाता है दिल,
और उतारता है कश्ती फिर लहरों में,
खफा है, नाराज है, उन्हे शिकायत है बहोत हमसे,
पर उन तुफानों का क्या,
जिन्हे मैने दिल में दबाया है,
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