माना कि, जिन्दगी में खुद के लिए जिन्दा नही हूं मै,
तो क्या हुआ, अपनो के लिए जि तो रहा हूं मै....
अब सब्र भी कर मोहब्बत, क्योकि खुद के लिए मोहब्बत नही मुझमें,
तो क्या हुआ, अपनो की आखो में मौजूद मोहब्बत के लिए जि तो रहा हूं मै...
रूठो को मनाना सिखाया, और टूटे दिल के साथ जीना सीखाया,
अब ये रूठना मनाना, दिल का टूटना ना सही मुझमें,
तो क्या हुआ, अपनो को टुटने से बचाने के लिए जि तो रहा हूं मै...
माना कि, जिन्दगी में खुद के लिए जिन्दा नही हूं मै,
तो क्या हुआ, अपनो के लिए जि तो रहा हूं मै....
माना कि अब तलाश नही है जिंदगी में किसी की मुझमें,
तो क्या हुआ, मुझे ढुंढती आंखो की तलाश के लिए जि तो रहा हूं मै...
हकिकत को अफसाना बना के छोड दिया है जिंदगी ने,
तो क्या हुआ, उसी अफसाने में जिंदगी बनाने के लिए जि तो रहा हूं मै...
माना कि, जिन्दगी में खुद के लिए जिन्दा नही हूं मै,
तो क्या हुआ, अपनो के लिए जि तो रहा हूं मै....
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ReplyDeleteReally heart touching
ReplyDeleteVery well written but I hope that you would have posted it directly on YoAlfaaz.com
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