बन्द कमरो सी जिंदगी,
कोई खोलता ही नही,
सबकी जुंबा पर ताले है,
कोई राज-ए-दिल बोलता ही नही।।
चेहरे पर चेहरा, चेहरे पर मुखौटा,
मुखैटे में छुपे सच को,
कोई जानता ही नही,
सबकी जुंबा पर ताले है,
कोई राज-ए-दिल बोलता ही नही।।
जो अंधेरे में उठते है,
अंधेरे में सो जाते है,
उनके उजाले की दास्तां,
कोई जानता ही नही,
सबकी जुंबा पर ताले है,
कोई राज-ए-दिल बोलता ही नही।।
सब कुछ पाने की जद्दोजहद में,
किए गुनाहों को कोई मानता ही नही,
सब कुछ खोने का डर सब में है,
पर कोई मानता ही नही।
बन्द कमरो सी जिंदगी,
कोई खोलता ही नही,
सबकी जुंबा पर ताले है,
कोई राज-ए-दिल बोलता ही नही।।
@SilentWord9
Written By Anshul
@SilentWord9
Written By Anshul


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